Monday, August 27, 2012

ye hawa kehti hai kya ....?

सरसराती हवा चूमती हुई चेहरे को चली जाती है ,

खामोश वादियों से आवाज़ सी कोई आती है ,

प्यार हर दिल पर बिखेरती है ये हवा ,

बस खामोशी में हर दिल पर गूंजती है ये हवा,

प्यार हर दिल पर नशे की तरह बिखेरती चली जाती है,

फिर बर्फीले ठंडे पानी के भाँती वो नशा उतारती है ये हवा,

आते ही महबूब की आहट महसूस कराती है ये हवा,

महबूब के जाने के गम में हर पल रुलाती है ये हवा,

प्यार अगर सच्चा हो तो वो आंसू सुखाती है ये हवा,

दूर होकर भी महबूब की सोंधी खुशबू पास लाती है ये हवा !

4 comments:

  1. वाह क्या हवा चलाई है आपने बेहतरीन मेघा जी बधाई इस सुन्दर रचना पर.

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