Wednesday, November 24, 2010

Meri Kahani: How Could I Let You Go

Meri Kahani: How Could I Let You Go: "You came softly into my life and touched my heart. You brought joy into the depths of my being. A joy I had never known before and so I ask,..."

Meri Kahani: बिन्दी का महत्व

Meri Kahani: बिन्दी का महत्व: " शाम क चार बज कर पैतीस मिनट हुए थे. मैं अल इंडिया रेडियो(क्यूंकि देहरादून मैं कोई और रेडियो चैनल नहीं हैं) से गीत सुन रही थी. मन को फड़का दे..."

Tuesday, November 23, 2010

बिन्दी का महत्व

 शाम क चार बज कर पैतीस मिनट हुए थे. मैं अल इंडिया रेडियो(क्यूंकि देहरादून मैं कोई और रेडियो चैनल नहीं हैं) से गीत सुन रही थी. मन को फड़का देने वाले गीत क़ि प्रतीक्षा थी. तभी स्वर गूँज उठा "बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी.....". क्या बात हैं. गीत ने मुझे नए सिरे से बिन्दी के महत्व पर सोचने पर विवश कर दिया. देखने मैं अत्यंत लघु ये बिन्दी हिन्दी अध्यापक - अध्यापिकाओ की दुखती राग हैं. हमारी कलम ने ज़रा सा इसे इधर से उधर डाला नहीं, कि उनका रक्तचाप बड़ा नहीं. एकवचन, बहुवचन, "है" और "हैं" का अंतर समझाते हैं कि उम्र क कारवां गुज़रते चले जातें हैं और हम बंद कानो और अधमुंदी पलकों से गुबार देखते चले जाते हैं. चाहे वे हँसे, चाहे हंस, कंस, पंख और अंत में अंक का डंडा दिखाएँ, हमारी बाला से.

                  कक्षा से बहार कि दुनिया में आएँ. एक ज़माना था जब बच्चे के कान क पीछे या मस्तक पर छोटी सी बिन्दी माँ कि ममता कि कहानी कह जाती थी. विवाहिता के माथे कि बिंदिया उसकी गरिमा थी. आज रंग-बिरंगी, एक दुसरे से होड़ लेती बिंदियाँ प्रसाधन कि दुनिया में इस कदर दमकती हैं जैसे हरिद्वार कि गंगा में संध्या समय बहते हुए नन्हे-नन्हे दीपक. 

               बिन्दी क करिश्मे भी कम नहीं. सखी "उमा बदरी" के नाम पर भूल से बिन्दी डाली तो महाभारत छिड गई. "शंकर" कि बिन्दी हटी तो "शकर" बन कर मित्र इतना बिगड़ा कि दोस्ती में कड़वाहट भर गयी. हमने बोहोत साड़ी बिंदियों क जोड़ से रेखा खीच कर ज्योमेट्री सीखने में समय गुज़ार दिया. पर अंग्रेजो कि समझदारी देखिये, एक फुल-स्टॉप कि बिन्दी लगाई और वाक्य ही ख़त्म. दादा जी बिन्दी को शुन्य के रूप में बताकर योग का अभ्यास करते हैं. कवी बिहारी इसलिए कहते हैं -

"नाम अंक बेंदी दिए, अंक दस गुना होत.
तिए लिलार बेंदी दिए, अगडित होत उदोत".   



Monday, November 22, 2010

Are Exams More Tiring For Parents Than Children?

Exams are very tiring both for parents & for children. So involved are the parents with the exams that it is they rather than the children who need psychological help.


      Some parents are not competent enough to guide their children in any of the major subjects. They run from pillar to post to arrange tutions, borrow notes, get previous exam papers, important question, etc. Some of these anxieties are justified, but are the emotional blackmails, sibling comparisons that the parents indulge in, justified? Do parents stop to think of the plight of we children?


     If parents could devote more time to the children as a daily habit and not as an annual feature, perhaps, we would be better off at times of exams. Sometimes parents have such unreasonable expectations from we children that it is beyond our capacity to fulfill them. After all, each child cannot stand first in the class or get highest marks in every subject.


Moreover, if our curriculum is a little less text-oriented and if we are taught how to analyse a particular idea for ourselves. But our parents think that reading books other than textbooks is a waste of time. Even a well-deserved break after hours of pondering over books is considered a waste of time.


      So this is my plea to parents, please, we are also human, We can also be responsible. We also have the potential Please, give us a chance.
(chance to prove .........)

आतंकवाद

एक दिन मुन्नी और अम्मा जा रहे थे बाज़ार,
लेने को खूब सारा सामान, मुरब्बे और अचार,,
तभी तपाक से मुन्नी ने पुछा "माँ ये आतंकवाद क्या होता हैं ?"
"क्यों कोई इसका नाम लेकर रोता हैं फिर भी क्यों ये किसी क आसूँ नहीं धोता हैं ?"
अम्मा, मुन्नी का सवाल सुन कर हो गयी अचंभित 
क्योंक़ि कभी सोचा भी न था उसने क़ि मुन्नी इस कदर सवाल पूछ कर कर देगी उसे विडम्बित
अम्मा ने सवाल को पहले थोडा तोला,
फिर जवाब क लिए अपने मुह को खोला,,
वो बोली :-
"जब इंसान क दिल क़ि दरिंदगी बाद जाती हैं 
और उसे न अपने घर क़ी, न रिश्तेदार क़ी याद आती हैं
तो वो गुस्से मैं गोला - बारूद और बन्दूक उठता हैं,
बेटा, बाप का और भाई - भाई का दुश्मन बन जाता हैं,,
कभी जिहाद क नाम पर तो कभी जयेदाद क नाम पर
वो हर जगह खून क़ी नदियाँ बहता हैं.
'सोने क़ी चिड़िया' जैसे अपने देश को,
वो आतंक का कला कौवा बनता हैं.
न इस समय वो अपनों का होता है
और न वो परायों का होता हैं,
वो इस कदर खुंकार हो जाता हैं क़ी वो सिर्फ आतंकवाद फैलता हैं .

"आतंकवाद मनाता हैं अपनी दिवाली खून से,
 आतंकवाद मनाता हैं अपनी होली खून से,,
मानता हैं इसका मुहर्रम खून से,
मानती हैं इसकी ईद खून से,,
naa ये कोई रिश्ते देखता हैं,
ना ये कोई मज़हब देखता हैं,, 
देखता हैं तो बस ये लाशों से लदी सदके देखता हैं,
और खून से सनी दीवारे देखता हैं.

ये सुनकर मुन्नी क़ी जिज्ञासा और बड़ी,
और उसने एक और सवाल क़ी छोड़ी झड़ी.
उसने पुछा :-

"अम्मा ये आतंकवाद कब से अपने पाँव पसार रहा हैं,
ऐसा कब से चलता आ रहा हैं?"

अम्मा बोली :-

"मुन्नी सूरज जलता रहा और चान भी सिसकता रहा,
आतंकवाद का साया उम्र भर ऐसे ही बढता रहा.
उम्र भर ऐसे ही बढता रहा.."

Saturday, November 20, 2010

How Could I Let You Go

You came softly into my life and touched my heart. 
You brought joy into the depths of my being. 
A joy I had never known before and so I ask, 
How could I let you go? 

Within me you have stirred the passions of dreams 
And aroused the dreams of passion in the night. 
You have brought new life to me and so I ask, 
How could I let you go? 

From deep within my soul you have touched the poet, 
Brought words to life and feelings to the surface. 
You are my verse, rhythm and rhyme and so I ask, 
How could I let you go? 

When love comes into a life as yours has come into mine, 
The heart is surrendered and the soul is free to love. 
The whole being is consumed in passion and so I ask, 
How could I let you go? 

I have heard your words and beheld your voice, 
The softness and soothing nature calms my deepest fears. 
You wrap me in your loving words and so I ask, 
How could I let you go? 

How could I let you go? 
There is only one answer from this heart of mine, 
There is only one solution to this puzzle within me, 
I could let you go - - - - only into my heart forevermore.